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जलकल विभाग नगर निगम की एक महत्वपूर्ण इकाई हैए जो वर्षों से नगरवासियों की सेवा में पेयजल उपलब्ध करा रही है। पेयजल व सीवर व्यवस्था को सुचारू रखने हेतु शहर को पांच जोनों में विभक्त किया गया हैए जिनकी पेयजलपूर्ति व सीवरेज व्यवस्था जोन स्तर पर सुनिश्चित की जाती है। पेयजल व्यवस्था के अन्तर्गत शहर में 219 डीपवैल नलकूप हैए जो कि सीधे व 63 शिरौपरी जलाशय के माध्यम से जनता को पेयजलपूर्ति उपलब्ध करा रहे है। घनी बस्तियोंए मलिन बस्तियों व ऐसे स्थान जहा पर जलपूर्ति डीपवैल नलकूपों तथा शिरौपरी जलाशयों के माध्यम से नही हो पाती है अथवा कम दवाब पर होती हैए इन स्थानों पर वार्डध्मौहल्ले स्तर पर पेयजल उपलब्ध कराने हेतु 10 एच0पी0 क्षमता के लगभग 300 मिनी नलकूप अधिष्ठापित कराकर संचालित किये जा रहे है।
वर्तमान में मात्र वसुन्धरा जोन में प्रतापविहार स्थित वाटर ट्रीटमैन्ट प्लान्टए जहा पर गंगाजल को शोधित कर लगभग 56 डस्क् पेयजल उपलब्ध करा रहे है। उपरोक्त संसाधनों में डीपवैल नलकूपों जिनकी संख्या 197 हैए को स्काडा के माध्यम से स्वचालित किया जा चुका हैए जो कि वर्तमान में कार्यशील है। स्वचालित होने के कारण इन नलकूपों से नियत समय पर जलापूर्ति दी जाती है। किसी भी प्रकार के नलकूप पर उत्पन्न व्यवधान की जानकारी तत्काल सम्बन्धित को स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैए जिस पर तत्काल कार्यवाही कर व्यवधान को दूर कर जनता को निर्बाध जलपूर्ति दी जाती है। जलकल विभाग में मुख्यतः जलस्रोत भूमिगत होने के कारण डोजरों के माध्यम से तथा शिरौपरी जलाशय के माध्यम से क्लोरीनेशन कराकर शुद्धपेयजल शहरवासियों को उपलब्ध कराया जाता है।
नलकूपों के अतिरिक्त बस्तियोंए कालोनियों एवं ऐसे क्षेत्र जहा पर पेयजल पाईप लाईन नही हैए 7000 से अधिक अधिष्ठापित हैन्ड पम्पों का अनुरक्षण क्षेत्रवासियों को पेयजल उपलब्ध करा रहे है। वर्तमान में शहर के अन्तर्गत जनगणना.2011 के अनुसार लगभग 3ए30ए000 भवन हैए जिसमें पाईप लाईन पेयजल के माध्यम से लगभग 2ए22ए000 भवन सीधे जलपूर्ति से जुड़े है। इस प्रकार लगभग शहर का 67ण्20 प्रतिशत जलापूर्ति से जुड़ा हुआ है। यू0आई0डी0एस0एस0एम0टी0 के अन्तर्गत ट्रांसहिंडन क्षेत्र में वार्ड.48ए 46ए 24ए 17ए 25 व 37 को पेयजलपूर्ति से जोड़ा जा चुका हैए जो परीक्षण में है। इसके अन्तर्गत लगभग 35000 भवनों अर्थात 1ए75ए000 नागरिको को शीघ्र ही नियमित रूप से पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। इस योजना के द्वितीय चरण में वार्ड.04ए 10ए 20ए 30ए 32 तथा 50 में पाईप लाईन द्वारा पेयजल उपलब्ध कराने की योजना में कार्य प्रगति पर हैए जिसमें लगभग 53 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। विभिन्न स्थानों पर आवश्यकता पड़ने पर विभाग में उपलब्ध 34 पानी के टैंकरो द्वारा पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।
इसी प्रकार सीवर व्यवस्था के अन्तर्गत पूर्ण शहर में 18 सीवर पम्पिंग स्टेशनों के माध्यम से एवं सीधे 05 सीवर ट्रीटमैन्ट प्लान्टों को जोड़ा गया हैए जहा पर सीवर शोधन का कार्य किया जाता है। वर्तमान में सीवरेज ट्रीटमैन्ट प्लान्ट की 312 डस्क् सीवरेज को शोधन करने की क्षमता है। सीवर व्यवस्था सीधे तौर पर नागरिको को किसी भी प्रकार की असुविधा न होए जोन स्तर पर पृथक.पृथक रूप से व्यवस्थित किया हुआ है। कालोनियोंए मौहल्लों आदि में किसी भी कारण सीवरेज के प्रवाह में रूकावट होने पर तत्काल नागरिको को राहत पहुँचाने हेतु पर्याप्त सीवर कर्मी है एवं संसाधन के रूप में 10 सीवर जैटिंग मशीन कार्यशील है।
वर्षो पूर्व पड़ी मुख्य सीवर लाईनों में वर्षो पूर्व तकनीक न होने के कारण लाईनो की सफाई नही हो पाती थी। इस समस्या के समाधान हेतु तीन वर्ष पूर्व एक सुपरशकर मशीन सीवर लाईनों की सफाई हेतु क्रय की गयी, जिसकी सफलता को दृष्टिगत रखते हुये हाल ही में एक अतिरिक्त सुपरशकर मशीन क्रय की गयी है। इन सुपरशकर मशीनों के आने से दिल्ली से किराये पर मंगाई जाने वाली सुपरशकर मशीन की मांग में निश्चित ही कमी आई है, जिससे नगर निगम को आर्थिक लाभ भी हो रहा है। लिहाजा, आंकड़ों पर नजर डाले तो गाजियाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलानें में जलकल विभाग एक अहम भूमिका निभा रहा है। विभाग द्वारा जनता को राहत देने के लिये तत्काल शिकायतो पर कार्यवाही की जाती है, जिससे नगर में पेयजल व सीवर व्यवस्था से जनता खुश रहें।